305 भाग
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नहीं क्या। तुम लोग सब कुछ कर सकते हो।” राजलक्ष्मी कहने लगी- “रतन न जाने क्या समझा, केवल यह देखा कि मेरे मुँह की ओर देखकर उसकी ऑंखें छलछला आई हैं। ...